(कर्टॆसी: वॆब् दुनिया)
वॉल्ट डिज्नी द्वारा निर्मित और हॉलीवुड के मशहूर निर्देशक जैरी ब्रूकहाईमर की सुपरहिट फिल्म 'नेशनल ट्रेजर' का दूसरा पार्ट 'नेशनल ट्रेजर-बुक ऑफ सीक्रेट' एक बार फिर दर्शकों को ले जाती है एक अनोखे और रहस्यमय सफर पर, जहाँ कदम-कदम पर खजाने के सुराग छिपे हैं। परत-दर-परत जब इन सुरागों को सुलझाते फिल्म आगे बढ़ती है तो दर्शक भी अपने आप को इस खोज में हिस्सेदार पाता है।
हॉलीवुड के मशहूर सितारे और ऑस्कर पुरस्कार विजेता (1995- लीविंग लॉस वेगास) निकोलस केज ने इस फिल्म में भी अपना रंग जमाया है। निकोलस के अलावा गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड विजेता (1999-द ट्रू मन शो) एड हैरिस भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।फिल्म की कहानी शुरू होती है जब अब्राहम लिंकन के हत्यारे जॉन विल्कस बूथ की हस्तलिखित डायरी का गुम हो चुका 18वाँ पन्ना प्राप्त होता है और उसके आधार पर जैब विलकिंसन (एड हैरिस) मशहूर ट्रेजर हंटर बेंजामिन फ्रेंकलिन गेट्स (निकोलस केज) के परदादा पर इस हत्या के षड्यंत्र मे शामिल होने का आरोप लगाता है, अब बेन को इस कलंक को धोने के लिए उस 18वें पन्ने में छिपे सुरागों को जानकर रहस्य पर से पर्दा उठाना ही होगा।
इस खोज में उसके साथ उसके पिता पेट्रिक गेट्स (जॉन व्हॉग्ट), उसकी सनकी माँ (हेलेन मीरन), उसकी प्रेमिका एबिगिल (डियॉन क्रूगर) और उसका दोस्त रिले पूल (जस्टिन बार्था)। बेंजामिन एक ऐसा विद्वान खजाना खोजी है जो अपने दिमाग के सहारे जंग जीतता है। पुरातात्विक सम्पदा को समझने और पूजने वाला बेंजामिन उनका महत्व समझता है और धन लोलुप इतिहास के लुटेरों से उन्हें बचाने के लिए गुनाह भी कर सकता है।
बहरहाल उनकी खोज उन्हें 'बुक ऑफ सीक्रेट' की और ले जाती है और ले जाती है उन्हें लंदन और पेरिस की गलियों में। यहाँ मिले सुराग उन्हें वापस अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस फिर माउंट रशमोर (जहाँ कई प्रसिद्ध अमेरिकी हस्तियों की पहाड़ काटकर बनाई गई प्रतिमाएँ हैं) और अंत में लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में ले जाते हैं और इस रोमांचक खोज में उन्हें दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में झाँकने का मौका मिलता है। आखिर में अंतिम सुराग उन्हें पहुँचाता है 'लास्ट सिटी ऑफ गोल्ड' जहाँ बिखरा है दुनिया का सबसे बड़ा खजाना और बहुत सारे खतरनाक रहस्य जिन्हें जानने के लिए आपको देखना होगी नेशनल ट्रेजर- बुक ऑफ सीक्रेट।
इस फिल्म में हॉलीवुड के कुछ सदाबहार मसालेदार 'रहस्यों' जैसे कि 'एरिया 51', 'जॉन एफ केनेडी की हत्या के राज' या 'स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी में छिपे संदेश' का तड़का दिया गया है।
अभिनय की बात करें तो इस फिल्म में सभी दिग्गज भरे पड़े हैं। निकोलस केज भले ही उम्रदराज दिखने लगे हैं मगर उनके अभिनय में ताजगी दिखाई देती है और एड हैरिस ने भी अपनी भूमिका से साथ पूरा न्याय किया है। रिले पूल (जस्टिन बार्था) ने भी कुछ जगह हँसाकर फिल्म को बोझिल होने से बचाया है।
एडवेंचर फिल्मों के शौकीन दर्शकों के लिए यह एक रोमांच भरी यात्रा होगी जो हिन्दी में 'खजाने का रहस्य' के नाम से सिनेमाघरों में चल रही है। इस फिल्म की विषेशता है कि यह फिल्म अमेरिकी जीवन के रोजमर्रा काम में आने वाले या तकरीबन रोज ही दिखाई देने वाली चीजों जैसे करेंसी नोट, पीलर ऑफ फ्रीडम, स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी मे छिपे सुरागों के आधार पर आगे बढ़ती है और दर्शकों का रोमांच बनाए रखती है।
हॉलीवुड के मशहूर सितारे और ऑस्कर पुरस्कार विजेता (1995- लीविंग लॉस वेगास) निकोलस केज ने इस फिल्म में भी अपना रंग जमाया है। निकोलस के अलावा गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड विजेता (1999-द ट्रू मन शो) एड हैरिस भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।फिल्म की कहानी शुरू होती है जब अब्राहम लिंकन के हत्यारे जॉन विल्कस बूथ की हस्तलिखित डायरी का गुम हो चुका 18वाँ पन्ना प्राप्त होता है और उसके आधार पर जैब विलकिंसन (एड हैरिस) मशहूर ट्रेजर हंटर बेंजामिन फ्रेंकलिन गेट्स (निकोलस केज) के परदादा पर इस हत्या के षड्यंत्र मे शामिल होने का आरोप लगाता है, अब बेन को इस कलंक को धोने के लिए उस 18वें पन्ने में छिपे सुरागों को जानकर रहस्य पर से पर्दा उठाना ही होगा।
इस खोज में उसके साथ उसके पिता पेट्रिक गेट्स (जॉन व्हॉग्ट), उसकी सनकी माँ (हेलेन मीरन), उसकी प्रेमिका एबिगिल (डियॉन क्रूगर) और उसका दोस्त रिले पूल (जस्टिन बार्था)। बेंजामिन एक ऐसा विद्वान खजाना खोजी है जो अपने दिमाग के सहारे जंग जीतता है। पुरातात्विक सम्पदा को समझने और पूजने वाला बेंजामिन उनका महत्व समझता है और धन लोलुप इतिहास के लुटेरों से उन्हें बचाने के लिए गुनाह भी कर सकता है।
बहरहाल उनकी खोज उन्हें 'बुक ऑफ सीक्रेट' की और ले जाती है और ले जाती है उन्हें लंदन और पेरिस की गलियों में। यहाँ मिले सुराग उन्हें वापस अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस फिर माउंट रशमोर (जहाँ कई प्रसिद्ध अमेरिकी हस्तियों की पहाड़ काटकर बनाई गई प्रतिमाएँ हैं) और अंत में लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में ले जाते हैं और इस रोमांचक खोज में उन्हें दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में झाँकने का मौका मिलता है। आखिर में अंतिम सुराग उन्हें पहुँचाता है 'लास्ट सिटी ऑफ गोल्ड' जहाँ बिखरा है दुनिया का सबसे बड़ा खजाना और बहुत सारे खतरनाक रहस्य जिन्हें जानने के लिए आपको देखना होगी नेशनल ट्रेजर- बुक ऑफ सीक्रेट।
इस फिल्म में हॉलीवुड के कुछ सदाबहार मसालेदार 'रहस्यों' जैसे कि 'एरिया 51', 'जॉन एफ केनेडी की हत्या के राज' या 'स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी में छिपे संदेश' का तड़का दिया गया है।
अभिनय की बात करें तो इस फिल्म में सभी दिग्गज भरे पड़े हैं। निकोलस केज भले ही उम्रदराज दिखने लगे हैं मगर उनके अभिनय में ताजगी दिखाई देती है और एड हैरिस ने भी अपनी भूमिका से साथ पूरा न्याय किया है। रिले पूल (जस्टिन बार्था) ने भी कुछ जगह हँसाकर फिल्म को बोझिल होने से बचाया है।
एडवेंचर फिल्मों के शौकीन दर्शकों के लिए यह एक रोमांच भरी यात्रा होगी जो हिन्दी में 'खजाने का रहस्य' के नाम से सिनेमाघरों में चल रही है। इस फिल्म की विषेशता है कि यह फिल्म अमेरिकी जीवन के रोजमर्रा काम में आने वाले या तकरीबन रोज ही दिखाई देने वाली चीजों जैसे करेंसी नोट, पीलर ऑफ फ्रीडम, स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी मे छिपे सुरागों के आधार पर आगे बढ़ती है और दर्शकों का रोमांच बनाए रखती है।
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