Friday, November 30, 2007

बालीवुड् ब्यूतटी "अम्रूता अरोरा" ऎक्स् क्लूजिव् स्टिल्स्














विनोद खन्ना रिट‌र्न्स् टु बालीवुड़्..!?

यांग्री यंग् मॆन् विनोद खन्ना वाप‌स् आ र‌ही है! इस् कॆ लियॆ विनोद खन्ना नॆ ब‌हुत् खोशीश् क‌र् र‌हा है!विनोद खन्ना के समकालीन अभिनेता अमिताभ अभी भी फिल्मों में व्यस्त हैं। धर्मेन्द्र ने भी इस वर्ष अपनी वापसी की है। इनको देख विनोद खन्ना भी अपनी वापसी की कोशिशों में लगे हुए हैं। कुछ महीने पूर्व उनकी फिल्म ‘रिस्क’ प्रदर्शित हुई थी। उचित प्रचार के अभाव में यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफलता हासिल नहीं कर पाई, लेकिन विनोद खन्ना के अभिनय को फिल्म समीक्षकों ने खासा सराहा। एक जमाने में अमिताभ बच्चन के प्रतिद्वंद्वी रह चुके विनोद एक शानदार शख्सियत के मालिक है। आज भी वे चरित्र भूमिकाओं में जान डाल सकते हैं। इन दिनों बॉलीवुड में जिस प्रकार की फिल्में बन रही है, उसमें हर उम्र के अभिनेता को अवसर मिल रहे हैं। राजनीति में व्यस्त विनोद अब अपने पहले प्यार अभिनय पर भी ध्यान देना चाहते हैं। कई फिल्मों के लिए उनकी बात चल रही है और ‘फास्ट फॉरवर्ड’ में वे एक अहम किरदार निभा रहे हैं। यह फिल्म डांस के इर्दगिर्द घूमती है। विनोद इसमें ऐसे व्यक्ति की भूमिका निभा रहे हैं जो डांस प्रतियोगिता आयोजित करता है। विनोद के अलावा इस फिल्म में अधिकांश कलाकार युवा है। युवाओं के बीच विनोद अपने आपको भी युवा महसूस कर रहे हैं।
टीवी की लोकप्रियता दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। बॉलीवुड के कई दिग्गज टीवी पर नजर आएँ और इससे विनोद भी अछूते नहीं रहे। उनके द्वारा अभिनीत धारावाहिक ‘मेरे अपने’ हाल ही में शुरू हुआ है। इसमें वे स्मृति मल्होत्रा के साथ नजर आएँगे। टीवी पर काम करने से विनोद हिचक रहे थे और काफी समझाने पर वे राजी हुए। हालाँकि वे ‘महाराणा प्रताप’ नामक एक धारावा‍हिक में काम कर चुके हैं, लेकिन यह धारावाहिक कुछ दिनों बाद बंद कर दिया गया। ‘मेरे अपने’ धारावाहिक भव्य पैमाने पर बनाया जा रहा है और विनोद इसका केन्द्रीय पात्र बने हैं। वे परिवार के मुखिया का चरित्र निभा रहे हैं। विनोद के मुताबिक यह धारावाहिक उनके प्रशंसकों को जरूर पसंद आएगा। विनोद अपने दोनों बेटों की प्रगति से खुश हैं क्योंकि दोनों अपना मनपसंदीदा काम कर रहे हैं। विनोद की इच्छा है कि वे अपने दोनों पुत्रों के साथ एक फिल्म करें, लेकिन उन्हें अच्छी पटकथा मिल नहीं पा रही है। उम्मीद है कि जल्द ही उनकी यह इच्छा पूरी होगी।

Thursday, November 29, 2007

ऐसा क्यों होर‌हा है तब्बू के साथ?

(कर्टॆसी:वॆब् दुनिया )

बेरोजगार बैठी तब्बू की मुसीबत तब और बढ़ जाती है जब लोग उससे बिना पूछे उसको लेकर फिल्म बनाने की घोषणा कर देते हैं। तब्बू को भी औरों की तरह इस बात की खबर लगती है कि वह फलां फिल्म करने जा रही है। ऐसा तब्बू के साथ कई बार हुआ। मल्लिका शेरावत को लेकर ‘मान गए मुगल-ए-आजम’ बना रहे संजय छैल की इस फिल्म से तब्बू का नाम जुड़ा था। मधुर भंडारकर की फिल्म में भी तब्बू को लिए जाने की खबर आई थी। ताजा मामला दीपक तिजोरी का है। दीपक ने तब्बू को अपनी फिल्म की कहानी सुनाई। कहानी सुनने के बाद तब्बू ने कहा कि वे फिल्म करने या न करने का निर्णय बाद में लेगी, लेकिन खबर यह आई कि तब्बू दीपक की फिल्म करने वाली है। नाराज तब्बू ने दीपक की खबर ले ली।‘चीनी कम’ जैसी फिल्म देने के बावजूद तब्बू को फिल्म नहीं मिलना हैरानी का विषय है।

Wednesday, November 28, 2007

रितिक फिर बनने जा रहे हैं पिता

(Courtesy:Web Dunia)

रितिक रोशन के परिवार में एक नया मेहमान आने वाला है। इस खबर से रोशन परिवार बेहद खुश हैं। रितिक का बेटा रेहान लगभग दो वर्ष का हो गया है। राकेश रोशन का कहना है कि ये खुशी की बात है कि हमारे परिवार में एक और रोशन आ रहा है। बेटा हो या बेटी, रोशन परिवार का कहना है कि जो भी हो उससे हमें कोई मतलब नहीं है, लेकिन बच्चा स्वस्थ होना चाहिए। रेहान के समय रितिक चाहते थे कि उनके घर बेटी हो, लेकिन बेटा हो गया। शायद इस बार रितिक की इच्छा पूरी हो जाए।

Tuesday, November 27, 2007

'अजंता' को बचाने का संघर्ष-आजा नच ले :माधुरी दीक्षित



अपनी मोहक मुस्कान के जरिए लाखों दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली माधुरी दीक्षित यशराज फिल्म्स की ‘आजा नच ले’ के जरिए वापसी कर रही है। 30 नवम्बर को यह फिल्म प्रदर्शित होने जा रही है। माधुरी के प्रशंसक इस फिल्म का बेताबी के साथ इंतजार कर रहे हैं। माधुरी के मुताबिक उनकी वापसी के लिए इससे बेहतर फिल्म और कोई नहीं हो सकती थी। अब फैसला दर्शकों के हाथों में हैं। पेश है माधुरी से बातचीत...

क्या आपके लिए वापसी का निर्णय करना कठिन था?

हाँ। लंबे समय बाद वापसी करना आसान नहीं है क्योंकि आपको श्रेष्ठ काम करना होता है। आपके हर कदम पर निगाह रखी जाती है। सभी को उत्सुकता रहती है कि आप कौन सी फिल्म कर रहे हैं, क्या भूमिका निभा रहे हैं? लोगों की बहुत ज्यादा अपेक्षाएँ रहती हैं और इसका सारा दबाव आप पर होता है। क्या मैं सही कर रही हूँ? क्या मेरा काम पसंद किया जाएगा? जैसे प्रश्न भी दिमाग में उठते हैं। मेरे दो बच्चे हैं और उनकी जिम्मेदारी भी मुझ पर है। मैं सोचती थी कि क्या वे मुंबई से तालमेल बिठा सकेंगे क्योंकि वे कभी भी इतने लंबे समय तक मुंबई में नहीं रहे। इसलिए मैं थोड़ी चिंतित भी थी। लेकिन उन्होंने शूटिंग का भरपूर मजा लिया। मेरा बड़ा बेटा तो अब हिंदी बोलने भी लगा है और हिंदी गाने भी गाने लगा है।

आपको यह‍ फिल्म कैसे मिली?

फिल्मफेअर अवॉर्ड में परफॉर्म करने के बाद यशजी ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं फिल्मों में फिर से काम करूँगी। हमारी सिर्फ बातचीत हुई थी। मैंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। बाद में आदित्य चोपड़ा ने मुझसे बात की और फिल्म का विषय बताया। यशजी के साथ मैं ‘दिल तो पागल है’ जैसी फिल्म कर चुकी हूँ। वे बेहद सुव्यवस्थित तरीके से काम करते हैं और जो कहते हैं वे पूरा करते हैं। मैं उनकी बेहद इज्जत करती हूँ।

‘आजा नच ले’ की कहानी में आपको ऐसा क्या नजर आया कि आपने हाँ कहा?

पश्चिमी संस्कृति हमारे देश में पैर पसार रही है, इस वजह से हमारी संस्कृति को खतरा पैदा हो गया है। हमारी कलाएँ लुप्त हो रही हैं। थिएटर भी उनमें से एक है। यह फिल्म हमें हमारी जड़ों, मूल्यों और संस्कृति की तरफ वापस ले जाती है। इसकी कहानी आज के दौर से मेल खाती है। यह एक ‘फील गुड मूवी’ है।

आपके किरदार के बारे में बताइए।

मैं इसमें दीया नामक चरित्र निभा रही हूँ, जो बेहद मजबूत इरादों और स्वतंत्र विचारधारा वाली महिला है। वह प्यार में पड़कर अपना गाँव छोड़ न्यूयार्क चली जाती है। शादी के बाद उसे अहसास होता है कि उसने गलत आदमी से प्यार किया है। वह अपने गाँव वापस आती है। गाँव वाले उससे नाराज हैं। साथ ही जो चीज उसके दिल के करीब है उसे भी वह बचाना चाहती है। दीया उन लोगों में से नहीं है जो समस्याओं से घिरने के कारण बैठकर रोने लगते हैं। वह समस्या से निपटने में विश्वास करती है। वह बहुत आशावादी है और हमेशा आगे की सोचती है। उसका अच्छाई पर विश्वास है और वह मानती है कि हर आदमी के भीतर अच्छाई मौजूद है।

वर्षों बाद जब आपने पहले दिन शूटिंग की, तो कैसा लगा?

शानदार। पहले दो घंटे मैं जरूर थोड़ी आशंकित थी कि मैं कुछ भूल तो नहीं गई, लेकिन दो घंटे बाद मैं यह बात भूल चुकी थी कि मैं छ: वर्ष बाद शूटिंग कर रही हूँ।

क्या फिल्म इंडस्ट्री में आपको कोई बदलाव महसूस हुआ?

मुझे कई बदलाव देखने को मिलें। अब विभिन्न विषयों पर फिल्में बनाई जा रही हैं। सारा काम सुव्यवस्थित तरीके से होने लगा है। पटकथा पहले ही दे दी जाती है। मुझे याद है कि पहले जब मैं शूटिंग पर जाती थी तो कई बार मुझे पता ही नहीं होता था कि मुझे क्या करना है। सेट पर ही संवाद लिखे जाते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। इससे कलाकारों को बहुत मदद मिलती है। वे तैयारी के साथ आते हैं और इससे उनके काम में और निखार आता है। अब सिंक साउंड में शूटिंग की जाती है, जिससे डबिंग का झंझट खत्म हो गया है। आजकल ‘भेजा फ्राय’ और ‘खोसला का घोंसला’ जैसी फिल्में भी सफल होती हैं। यह भारतीय सिनेमा के लिए बहुत उम्दा बदलाव है।

निर्देशक अनिल मेहता के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

मैं सोचती थी कि मुझसे ज्यादा धैर्यवान व्यक्ति इस दुनिया में दूसरा नहीं होगा, लेकिन अनिल से मिलने के बाद लगा कि ऐसा दूसरा व्यक्ति भी है। परिस्थितियाँ कैसी भी हों, अनिल अपना आपा नहीं खोते। एक निर्देशक के रूप में वे जानते हैं कि उन्हें क्या चाहिए। वे सुझावों का हमेशा स्वागत करते हैं और अपने कलाकारों को अपने हिसाब से अभिनय करने की भी छूट देते हैं।

‘आजा नच ले’ के बाद क्या ‍आप और फिल्म करेंगी?

इस समय मैंने इस बारे में कुछ भी नहीं सोचा है।

Monday, November 26, 2007

हल्ला बोल : संदेश के साथ मनोरंजन

राजकुमार संतोषी एक प्रतिभाशाली निर्देशक हैं और वे विचारोत्तेजक फिल्म बनाते हैं। उनकी फिल्मों में दर्शकों के लिए मनोरंजन के साथ कुछ न कुछ संदेश जरूर होता है। अपनी आगामी फिल्म ‘हल्ला बोल’ में संतोषी ने एक मामूली अभिनेता के सुपरस्टार बनने और बाद में उसके आंतरिक संघर्ष को दिखाया है। अशफाक (अजय देवगन) एक छोटे शहर में रहने वाला युवक है। फिल्म स्टारों की चकाचौंध से प्रभावित होकर उसका भी एक स्टार बनने का सपना है। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए वह नाटक करने वाले एक दल में शामिल होता है। इस ग्रुप को सिद्धू (पंकज कपूर) चलाता है। सिद्धू का उद्देश्य लोगों में चेतना जगाना है। अशफाक एक अच्छा कलाकार बनने के लिए जमकर परिश्रम करता है। उसका संघर्ष रंग लाता है और उसे फिल्म में काम करने का अवसर मिलता है। वह अपना नाम बदलकर अशफाक से समीर खान कर लेता है। अपने शानदार अभिनय के बल पर समीर धीरे-धीरे सफलता की सीढि़याँ चढ़ने लगता है और लोगों के दिलों में अपनी जगह बना लेता है। वह हर भूमिका को बहुत ही बढि़या तरीके से अभिनीत करता है और सुपरस्टार बन जाता है। तारीफ और तालियों की गड़गड़ाहट में समीर अपना वजूद खो बैठता है और अपने द्वारा निभाए गए चरित्रों को जीने लगता है। सफलता का नशा उसे भ्रष्ट बना देता है। उसके इस व्यवहार के कारण उसके दोस्त और पत्नी स्नेहा (विद्या बालन) उससे दूर होने लगते हैं। एक दिन पार्टी में घटित एक घटनाक्रम समीर को पूरी तरह बदल देता है। अपनी मानवता और अपनी भ्रष्ट सुपरस्टार की इमेज में समीर अपने आपको घिरा हुआ पाता है। कशमकश में फँसा समीर अपनी भ्रष्ट इमेज से छुटकारा पाकर जिंदगी में सही मायनो में हीरो बनकर उभरता है।
निर्माता : सुरेश शर्मा
निर्देशक : राजकुमार संतोषी
संगीत : हिमेश रेशमिया
कलाकार : अजय देवगन, विद्या बालन, पंकज कपूर
श्रीवॆंकट् बुलॆमोनि

Saturday, November 24, 2007

हालीवुड् सॆन्सेशन् "बी मूवी" ऎक्स् क्लूजिव् फोटो ग्यालरी












श्रीवॆंकट् बुलॆमोनि

संजय दत्त ने रुलाया सुनील को

(कर्टसी:वॆब् दुनिया)‘दस कहानियाँ’ में एक कहानी है ‘राइज़ एंड फॉल’। इस कहानी का निर्देशन संजय गुप्ता ने किया है और इसमें संजय दत्त और सुनील शेट्टी नजर आएँगे। इस कहानी के फिल्मांकन के समय बड़ी दिलचस्प घटना घटी। कोलाबा स्थित मुकेश मिल्स में ‍इसकी शूटिंग चल रही थी। इसमें संजय दत्त माफिया डॉन बने हैं और सुनील उनका दाँया हाथ। दृश्य के अनुसार संजय को दोस्ती और भाईचारे के बारे में संवाद बोलने थे। निर्देशक के एक्शन बोलते ही संजय ने अपने संवाद बोलने शुरू किए। सुनील उनके सामने खड़े थे। दोस्ती के बारे में संवाद सुनते ही सुनील की आँखों में आँसू आ गए। सारे यूनिट के सदस्य चकित रह गए। उन्हें समझ में नहीं आया कि सुनील क्यों रो रहे हैं?संजू बाबा और सुनील की दोस्ती वर्षों पुरानी है। जब-जब संजय पर मुसीबतों का साया मँडराया है सुनील ने संजू के कंधे से कंधा मिलाया है। सुनील को वे संवाद अभिनय का नहीं बल्कि जीवन का हिस्सा लगे और भावनाओं में बहकर वे रोने लगे।

Wednesday, November 21, 2007

रॆड् कार्पॆट् फिलिम् रेटिंग्स् (21-11-2007)

(This post courtesy by Red Carpet Ratings)
Ratings for Movies Debuting in Theaters This Week:
AUGUST RUSH : Rating-PG
(for some thematic elements, mild violence and language)
ENCHANTED : Rating-PG
(for some scary images and mild innuendo)
HITMAN : Rating-R
(for strong bloody violence, language and some sexuality/nudity)
I'M NOT THERE : Rating-R
(for language, some sexuality and nudity)
NINA'S HEAVENLY DELIGHTS : Rating-PG-13
(for some sexual content)
STARTING OUT IN THE EVENING :Rating-PG-13
(for sexual content, language and brief nudity)
STEPHEN KING'S THE MIST :Rating-R
(for violence, terror and gore, and language)
THIS CHRISTMAS :Rating-PG-13
(for comic sexual content and some violence)



RATINGS GUIDE

G : GENERAL AUDIENCES (All Ages Admitted)

PG : PARENTAL GUIDANCE SUGGESTED (Some Material May Not Be Suitable for Children)

PG-13 : PARENTS STRONGLY CAUTIONED (Some Material May Be Inappropriate for Children Under 13)

R : RESTRICTED (Under 17 Requires Accompanying Parent or Adult Guardian)

NC-17 : NO ONE 17 AND UNDER ADMITTED