(कर्टॆसी: वॆब् दुनिया)
हिन्दी फिल्म अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने दावा किया है कि विवादास्पद टोयोटा लैंडक्रूजर के अवैध आयात में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
बंबई उच्च न्यायालय की ओर से जारी एक नोटिस के जवाब में पूर्व मिस यूनिवर्स ने कहा कि उनका किसी कानून के प्रावधान को भंग करने का कभी कोई इरादा नहीं रहा और वह विदेशी कार के आयात में लिप्त नहीं हैं।
सुष्मिता ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने किसी अनियमितता, गैर कानूनी कार्य या दोष दे सकने लायक व्यवहार नहीं किया। इसके विपरीत वह कानून का पालन करने वाली नागरिक हैं और जब सीमा शुल्क विभाग ने कर का मुद्दा उठाया तो वह खुद सेटलमेंट कमीशन के पास गईं और उन्होंने 20 लाख 33 हजार 386 रुपए का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने 2 लाख 16 हजार 988 रुपए की चुंगी भी भरी।
सुष्मिता सेन के अनुसार कार की खरीद संबंधी दस्तावजे मेसर्स जय माता एंटरप्राइजेज के मालिक हरेन चौकसी ने बनाए थे, जिन्होंने उन्हें यह कार वासु थमला की मिल्कियत बताकर बेची थी। वासु की तरफ से हस्ताक्षर भी चौकसी ने किए थे। बाद में पता चला कि वासु थमला का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
सुष्मिता सेन के अनुसार उन्हें कार के रजिस्ट्रेशन कागजात दिखाए गए थे और स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कार विशेष रूप से उन्हीं के (सुष्मिता) लिए आयात नहीं की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार और न्यायाधीश जेपी देवधर की खंडपीठ ने फर्जी कार मालिक वासु थमला, जिसका कथित रूप से कोई अस्तित्व नहीं है, के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया और दो सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
इस मामले में अदालत ने 11 अक्टूबर, 2007 को अदालत ने सुष्मिता सेन को कड़ी फटकार लगाई थी और उनके खिलाफ लगे आरोपों को गंभीरता से लेते हुए अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
सुष्मिता पर सीमा शुल्क न भरने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, नई कार का पुरानी कार बताकर पंजीकरण करने, कार को आवास हस्तांतरण के बहाने आयात करने, इंजन व कार की बॉडी के गलत नंबर देने, कार का मूल्य कम कर बताने आदि के आरोप हैं।
बंबई उच्च न्यायालय की ओर से जारी एक नोटिस के जवाब में पूर्व मिस यूनिवर्स ने कहा कि उनका किसी कानून के प्रावधान को भंग करने का कभी कोई इरादा नहीं रहा और वह विदेशी कार के आयात में लिप्त नहीं हैं।
सुष्मिता ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने किसी अनियमितता, गैर कानूनी कार्य या दोष दे सकने लायक व्यवहार नहीं किया। इसके विपरीत वह कानून का पालन करने वाली नागरिक हैं और जब सीमा शुल्क विभाग ने कर का मुद्दा उठाया तो वह खुद सेटलमेंट कमीशन के पास गईं और उन्होंने 20 लाख 33 हजार 386 रुपए का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने 2 लाख 16 हजार 988 रुपए की चुंगी भी भरी।
सुष्मिता सेन के अनुसार कार की खरीद संबंधी दस्तावजे मेसर्स जय माता एंटरप्राइजेज के मालिक हरेन चौकसी ने बनाए थे, जिन्होंने उन्हें यह कार वासु थमला की मिल्कियत बताकर बेची थी। वासु की तरफ से हस्ताक्षर भी चौकसी ने किए थे। बाद में पता चला कि वासु थमला का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
सुष्मिता सेन के अनुसार उन्हें कार के रजिस्ट्रेशन कागजात दिखाए गए थे और स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कार विशेष रूप से उन्हीं के (सुष्मिता) लिए आयात नहीं की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार और न्यायाधीश जेपी देवधर की खंडपीठ ने फर्जी कार मालिक वासु थमला, जिसका कथित रूप से कोई अस्तित्व नहीं है, के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया और दो सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
इस मामले में अदालत ने 11 अक्टूबर, 2007 को अदालत ने सुष्मिता सेन को कड़ी फटकार लगाई थी और उनके खिलाफ लगे आरोपों को गंभीरता से लेते हुए अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
सुष्मिता पर सीमा शुल्क न भरने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, नई कार का पुरानी कार बताकर पंजीकरण करने, कार को आवास हस्तांतरण के बहाने आयात करने, इंजन व कार की बॉडी के गलत नंबर देने, कार का मूल्य कम कर बताने आदि के आरोप हैं।
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