Thursday, January 31, 2008

पिरमिड् सायिमिरा नॆ अरुणा टॆक्नालजीस् का अधिग्रहन् किया

( Courtesy:Jansatta)


मैं सिगरेट नहीं छोडूंगा: शाहरुख़ खान


(कर्टॆसी: वन् इंडिया)
भारत के स्वास्थ मंत्री अम्बुमणि रामदोस ने शाहरुख़ खान और अमिताभ बच्चन से अपील कि थी कि वे सिगरेट का सेवन बंद कर दें क्यूंकि हमारे देश कि युवा पीढ़ी पर इसका बुरा असर पड़ता है.
इससे हमारे किंग खान नाराज़ बताये जाते हैं और उन्होंने इसके जवाब में स्वास्थ मंत्री से कहा है कि वो सिगरेट का सेवन नहीं छोडेंगे.
शाहरुख़ ने कहा, 'ये मेरी ज़िंदगी है और मैं जैसे चाहे वैसे जी सकता हूँ. परदे पर हम सिर्फ़ दिखाने के लिए सिगरेट पीते हैं. असल में इतनी नहीं पीते.'
गौरतलब है कि बिग बी कि तरफ़ से अब तक कोई जवाब नहीं आया है. शायद वो ये सोच रहे हैं कि आख़िर क्या जवाब दें ??

Wednesday, January 30, 2008

पॉप स्टार ब्रिटनी स्पियर्स का मानसिक संतुलन बिगड़ा


(कर्टॆसी:वॆब् दुनिया)
पॉप स्टार ब्रिटनी स्पियर्स को कुछ मानसिक परेशानी है, जिसके कारण वे एक मनोचिकित्सक के पास गईं। प्रसिद्ध लेखिका बारबरा वाल्टर्स ने बताया कि ब्रिटनी के मैनेजर और उनके अच्छे दोस्त कहे जाने वाले सैम लुत्फी ने उनसे संपर्क साधकर कहा है कि पॉप स्टार मनोचिकित्सक के पास गई थीं।
वाल्टर्स को लुत्फी ने बताया कि 26 वर्षीय ब्रिटनी को कुछ मानसिक परेशानी है, लेकिन उसका उपचार संभव है। वे (ब्रिटनी) मनोचिकित्सक के पास गई थीं और मुझे लगता है कि वे जल्दी ही अपना इलाज कराना शुरू कर देंगी।
उन्होंने बताया कि ब्रिटनी का मूड बदलता रहता है और वे रात को ठीक तरह से सो नहीं पाती हैं। वे अपनी माँ से भी संपर्क बनाए हुए हैं, क्योंकि उनकी माँ हर तरह की परिस्थितियों में ब्रिटनी का ध्यान रखती हैं। लुफ्ती के मुताबिक मैं ब्रिटनी के इर्द-गिर्द ही रहा करती हूँ और वे हम लोगों से भी संपर्क बनाए हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि 2006 के नवंबर में केविन फेडरलिन से तलाक हो जाने के बाद से ही ब्रिटनी की तबीयत खराब रहने लगी है।
ब्रिटनी कुछ दिन पहले ही स‍िर मुँडवाकर सार्वजनिक तौर पर लोगों के समक्ष पेश हुई थीं और अपने एक फोटोग्राफर मित्र को लेकर लॉस एंजिल्स की एक अदालत में पहुँच गई थीं, जहाँ उनके दो पुत्रों की जिम्मेदारी लेने का अधिकार प्राप्त करने के लिए उनका फेडरलिन के साथ मामला चल रहा है।

Tuesday, January 29, 2008

अक्षय कुमार का कुश्ती प्रेम


(कर्टॆसी: वॆब् दुनिया)
जहाँ इन दिनों ज्यादातर फिल्म अभिनेता क्रिकेट या फुटबॉल में रूचि लेते हैं, वहीं अक्षय कुमार ने कुश्ती जैसे खेल को चुना है, जो अपेक्षाकृत कम लोकप्रिय है। अक्षय कोई कुश्ती पर आधारित फिल्म में अभिनय नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने पाँच पहलवानों का पूरा खर्चा उठाने की जवाबदारी अपने कंधों पर ली है।
26 जनवरी को अंधेरी स्पोर्टस कॉम्पलेक्स में वार्षिक कुश्ती का आयोजन था। कार्यक्रम में अक्षय भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान आयोजक संजय निरूपम ने अक्षय से आग्रह किया वे इस खेल के लिए कुछ मदद करें।
खिलाड़ी कुमार तो जैसे इस पल का ही इंतजार कर रहे थे। उन्होंने फौरन घोषणा कर दी कि वे पाँच खिलाडि़यों का आर्थिक जिम्मा उठाने के लिए तैयार है ताकि वे इस खेल में करियर बना सके।
अक्षय के बारे में यह जानकारी बहुत कम लोगों को पता है कि वे कुश्ती बेहद पसंद करते हैं और उनके पिता भी पहलवान रह चुके हैं। अक्षय के मुताबिक हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन पैसों के अभाव में ये आगे नहीं बढ़ पाती है। क्रिकेट या टेनिस जैसे खेलों को प्रायोजित किया जाता है और कुश्ती जैसा खेल उपेक्षित रह जाता है।
खिलाड़ी कुमार ने खेल भी पसंद किया तो एक्शन वाला। उनके इस कार्य की सराहना की जानी चाहिए।

Monday, January 28, 2008

"बालीवुड् ‍- बाध्सास्" ऎक्स् क्लूजिव् ग्यालरी










सिल्वेस्टर स्टेलोन की ब्रेव् हार्ट् फिलिम् "जॉन रेम्बो"

(कर्टॆसी: वॆब् दुनिया) (कर्टॆसी: वॆब् दुनिया)
दो दशक पूर्व सिल्वेस्टर स्टेलोन को एक्शन हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया था। सिल्वेस्टर के स्टाइलिश एक्शन को देख कई लोग उनके प्रशंसक बन गए थे। उनकी रेम्बो स‍िरीज की फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिली थी। ‘जॉन रेम्बो’ के रूप में ‍सिल्वेस्टर ने फिर इतिहास दोहराने की कोशिश की है।
फिल्म की शुरुआत में कम्बोडिया, वियतनाम, थाईलैंड और बर्मा का नक्शा दिखाया जाता है। इसके बाद बर्मा में हो रहे अत्याचार की झलक मिलती है। फिर कहानी आती है जॉन रेम्बो (सिल्वेस्टर स्टेलोन) पर, जो थाईलैंड के एक गाँव में नाविक है और उसे नदी के रास्तों का अच्छा ज्ञान है। वह जंगलों से घने साँप पकड़कर बेचता है। बर्मा में चल रहे भीषण गृहयुद्ध से उसे कोई लेना-देना नहीं है। उसका मानना है कि कुछ भी बदलना मुश्किल है।
उसके पास अमेरिकन मिशनरीज़ के कुछ सदस्य आते हैं जो उसे नदी के रास्ते से बर्मा ले चलने को कहते हैं। वे वहाँ जाकर अत्याचार के शिकार लोगों का इलाज करना चाहते हैं। उनमें दवाइयाँ और धार्मिक किताबें बाँटना चाहते हैं। रेम्बो पहले तो उनकी सहायता करने से इंकार कर देता है, लेकिन बाद में साराह (जूली बेंज) के समझाने पर मान जाता है। वह उन्हें छोड़कर वापस आ जाता है।
कुछ दिनों बाद उसे आर्थर मार्श बताता है कि वह दल वापस नहीं लौटा है और उनके बारे में कोई सूचना भी नहीं है। आर्थर कुछ भाड़े के ‍सैनिकों को नदी के रास्ते से वहाँ पहुँचाने के लिए रेम्बो को कहता है। रेम्बो यह काम कर देता है। वह चाहता है कि वह भी उनके साथ उस दल की खोज करे, लेकिन भाड़े के सैनिक मना कर देते हैं।
रेम्बो फिर भी जाता है और मुसीबत से घिरे भाड़े के सैनिकों की जान बचाता है। इस घटना के बाद वे उसे अपने साथ शामिल कर लेते हैं। रेम्बो और उसके साथियों को पता चलता है कि साराह और माइकल के दल को पकड़ लिया गया है। रेम्बो मुट्‍ठीभर साथियों के साथ कई गुना बड़ी सेना से मुकाबला करता है और दल को सुरक्षित वापस ले आता है।
फिल्म के पहले घंटे में बर्मा में हो रहे अत्याचारों को दिखाया गया है कि किस तरह बर्मा की सेना बेगुनाह और मासूम लोगों को बिना किसी अपराध के कीड़े-मकोड़ों की तरह मार डालती है। उनकी क्रूरता और बर्बरता को परदे पर जस का तस पेश करने की कोशिश की गई है। वे लोगों के हाथ, पैर, सिर गाजर-मूली की तरह काट देते हैं। जिंदा आदमी को भूखे सूअरों को खाने को दे देते हैं।
शुरुआत में धीमी गति से चलने वाली फिल्म उस समय गति पकड़ती है जब रेम्बो के एक्शन देखने को मिलते हैं। फिल्म का क्लॉयमैक्स उम्दा है जब अकेला रेम्बो पूरी सेना से मुकाबला कर विजयी होता है।
फिल्म की कहानी इस तरह से लिखी गई है कि रेम्बो को अपनी बहादुरी दिखाने का मौका मिले। बर्मा में चल रहे गृहयुद्ध से उसे कोई मतलब नहीं है। उद्देश्यहीन जिंदगी जी रहे रेम्बो को अमेरिकन मिशनरीज़ के दल को बचाने का मकसद मिल जाता है। अचानक वह क्यों बदल जाता है, ये स्पष्ट नहीं है। शायद उसे साराह के प्रति हमदर्दी रहती है, इसीलिए वह अपनी जान जोखिम में डालता है।
फिल्म थाईलैंड के घने जंगलों में फिल्माई गई है। अँधेरे घने जंगल, गहरी नदी, घनघोर बारिश और वहाँ छाई हुई चुप्पी फिल्म को प्रभावशाली बनाने में मदद करते हैं।
सिल्वेस्टर स्टेलोन अब बूढ़े और धीमे हो गए हैं। उन्होंने फिल्म में बेहद कम संवाद बोले हैं। पूरी फिल्म में उन्होंने एक जैसी मुखमुद्रा बनाकर रखी है। उनके ज्यादातर एक्शन दृश्यों में लाइट काफी कम रखा गया है ताकि कमजोरियों को छिपाया जा सके। जूली बेंज़, पॉल शूल्ज, मैथ्यू मार्डसन ने सिल्वेस्टर का साथ अच्छी तरह निभाया है। ग्लेन मक्फर्सन का कैमरा वर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। एक्शन दृश्यों की जितनी सराहना की जाए कम है। सारे दृश्य वास्तविक लगते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म को प्रभावशाली बनाता है।
कुल मिलाकर ‘जॉन रेम्बो’ उन अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरती जितनी कि दर्शकों को इस फिल्म को लेकर थी। एक्शन फिल्म पसंद करने वालों को जरूर अच्छी लग सकती है।
निर्माता : अवी लेर्नर, केविन किंग, जॉन थॉम्पसन
निर्देशक : सिल्वेस्टर स्टेलोन
कलाकार : सिल्वेस्टर स्टेलोन, जूली बेंज, सेम एलियट, मैथ्यू मार्डसन, पॉल शुल्ज़

Friday, January 25, 2008

मनी है तो दोस्ती है:ईशा कोप्पिकर


(कर्टॆसी:वॆब् दुनिया)
हाल ही में एक फिल्म में अक्षय कुमार की जगह ईशा कोप्पिकर को ले लिया गया। आप सोच रहे होंगे कि एक नायक की जगह नायिका कैसे ले सकती है? लेकिन बात हो रही है आयटम सांग की। प्रसिद्ध कोरियोग्राफर गणेश आचार्य ‘स्वामी’ जैसी फिल्म के असफल होने के बाद मसाला फिल्म ‘मनी है तो हनी है’ बना रहे हैं।
इस फिल्म में गोविंदा, सेलिना जेटली और हंसिका प्रमुख भूमिकाएँ निभा रहे हैं। हाल ही में इसी फिल्म के सेट पर गोविंदा ने एक लड़के को थप्पड़ मारा था और विवादों का केन्द्र बने थे।
अपनी इस फिल्म का वज़न बढ़ाने के लिए गणेश ने इसमें एक आयटम सांग शामिल करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने अक्षय कुमार को अनुबंधित किया जो कि इन दिनों सफलता के रथ पर सवार हैं।
अक्षय और गणेश की जान-पहचान पुरानी है और इसी दोस्ती के नाते अक्षय ने हाँ कहा। अक्षय को भनक पड़ी कि गणेश उनके नाम का उपयोग कर फिल्म को ऊँचे दामों में बेचने की सोच रहे हैं।
अक्की ठहरे प्रोफेशनल आदमी। उन्होंने फौरन आयटम सांग करने के दाम बता दिए। उनके द्वारा माँगी गई रकम इतनी ज्यादा थी कि गणेश घबरा गए। गणेश ने सोचा था कि अक्षय दोस्ती की खातिर मुफ्त में ही काम कर देंगे।
गणेश ने अक्षय को लेने का विचार छोड़ा और ईशा कोप्पिकर को इस गाने को करने के लिए मना लिया। ईशा इस समय खाली है और उसके पास ज्यादा काम नहीं है। खल्लास गर्ल ईशा के साथ इस गाने में गणेश भी नजर आएँगे।

Wednesday, January 23, 2008

मुज् कॊ शादी की ज‌ल्दी न‌ही:कैटरीना कैफ

सलमान खान की गर्लफ्रेंड कैटरीना कैफ का कहना है कि वह अभी शादी नहीं करना चाहती है। कैटरीना के अनुसार उसकी उम्र बहुत कम है और वह इस समय काम को प्राथमिकता देना चाहती है।
सलमान से अपने संबंधों के बारे में कैटरीना ज्यादा कहना पसंद नहीं करती है। कैटरीना हमेशा कहती है कि वह और सलमान केवल अच्छे दोस्त हैं। कुछ दिनों पहले इस बात की चर्चा थी कि सलमान और कैटरीना जल्दी ही शादी करने वाले हैं।
सलमान से दोस्ती के बाद कैटरीना ने केवल समय बिताने के उद्देश्य से फिल्मों में काम करना मंजूर किया था। उसे तब हिंदी बोलना भी नहीं आती थी। लेकिन जब लगातार कैटरीना की फिल्मों को सफलता मिलने लगी तो इससे उसका उत्साह बढ़ा और अभिनय के प्रति उसकी रूचि जागी। इन दिनों कैटरीना डिमांड में है और अपनी सफलता का आनंद उठा रही है। शायद इसीलिए उसने अपनी शादी की योजना को कुछ वर्षों के लिए टाल दिया है।

Tuesday, January 22, 2008

करीना कपूर् का सेक्सी बिकिनी लुक




यशराज फिल्म्स की फिल्मों में कलाकार वो सब करने के लिए तैयार हो जाते हैं जो उन्होंने पहले कभी नहीं किया होता। ‘धूम 2’ में बिपाशा बसु ने पहली बार बिकिनी पहनी थी और अब करीना ने ‘टशन’ में इसी किस्से को दोहराया है।
इस बात की चर्चा पहले से ही थी कि करीना ‘टशन’ में पहली बार बिकिनी में नजर आएगी। करीना को यह बात फिल्म साइन करते समय ही बता दी गई थी। करीना ने अपना फिगर शेप में लाने के लिए डाइट चार्ट का सख्ती से पालन किया और व्यायाम भी किया। इससे उसका वजन कम हुआ और वह सुंदर दिखाई देने लगी।
‘टशन’ के निर्माताओं को उम्मीद है कि करीना को बिकिनी में देखने के लिए उसके प्रशंसक सिनेमाघरों में टूट पड़ेंगे। पिछले दिनों ग्रीस में इस फिल्म की शूटिंग के दौरान करीना पर यह शॉट लिया गया। उस समय सेट पर करीना के बॉयफ्रेंड सैफ अली खान भी मौजूद थे। सैफ ने पिछले दिनों अपने हाथ में करीना के नाम का टैटू गुदवाया है जिसकी इन दिनों काफी चर्चा है।

Monday, January 21, 2008

‘सुपरस्टार’ का सच क्या है

(क‌र्टॆसी: वेब् दुनिया)

बॉलीवुड की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्में इन दिनों लगातार देखने को मिल रही हैं। ‘ओम शांति ओम’, ‘खोया खोया चाँद’, ‘शोबिज़’, ‘हल्ला बोल’ जैसी फिल्मों के बाद ‘सुपरस्टार’ भी बॉलीवुड से जुड़ी हुई है।
एक्शन और ड्रामे के साथ इस फिल्म में फिल्म उद्योग की कई सच्चाइयों से दर्शकों को वाकिफ कराया जाएगा। इस फिल्म में कुणाल खेमू ने दोहरी भूमिकाएँ निभाई हैं।
कुणाल (कुणाल) आज की युवा पीढ़ी का प्रतिनिधि है। वह सपने देखना और उन्हें पूरा करना अच्छी तरह जानता है। उसका सपना है बॉलीवुड में सुपरस्टार बनने का। हालाँकि वर्तमान में उसे सब एक स्ट्रगलर के रूप में पहचानते हैं, लेकिन कुणाल को पता है कि उसकी यह पहचान अस्थाई है। कुणाल को मौसम बेहद चाहती है, शायद दुनिया में सबसे ज्यादा।
जिंदगी कुणाल के साथ एक अजीब मजाक करती है। करोड़पति युवक करण (कुणाल खेमू) अचानक बॉलीवुड में प्रवेश करता है और छा जाता है। करण के आने से कुणाल के सपने चकनाचूर हो जाते हैं क्योंकि वह कुणाल जैसा ही दिखाई देता है।
कुणाल को मजबूरीवश करण के बॉडी डबल (डुप्लिकेट) के रूप में काम करना पड़ता है। दोनों के बीच एक अलग तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है। अचानक स्ट्रगलर कुणाल की किस्मत करवट बदलती है और वह सुपरस्टार बन जाता है। उसकी हर तरफ चर्चा होने लगती है। इसी बीच मौसम उससे दूर जा चुकी है। कुछ समय बाद कुणाल को अहसास होता है कि मौसम जो कि अब पत्रकार बन चुकी है, अपने सहकर्मी प्रशांत के साथ मिलकर उसके सुपरस्टार बनने के पीछे के सच को लोगों के सामने लाना चाहती है। कुणाल के सामने सवाल हैं ‍कि वह सच को स्वीकार करें या एक साहसी कदम उठाए?
क्या करेगा कुणाल?
क्या है वो सच?
कैसे बना कुणाल सुपरस्टार?
जानने के लिए देखिए ‘सुपरस्टार’।


निर्माता : श्री अष्टविनायक सिने विज़न लिमिटेड
निर्देशक : रोहित जुगराज
संगीत : शमीर टंडन
कलाकार : कुणाल खेमू, तुलिप जोशी, औशिमा साहनी, रीमा, शरत सक्सेना, दर्शन जरीवाला, अमन वर्मा.

Wednesday, January 16, 2008

रितिक से कोई मनमुटाव नहीं :ऐश्वर्या राय

(क‌र्टॆसी: वॆब् दुनिया)
ऐश्वर्या राय और रितिक रोशन अभिनीत ‘जोधा अकबर’ 15 फरवरी को प्रदर्शित होने वाली है। जब से यह फिल्म बनना शुरू हुई थी, तब से ऐश्वर्या और रितिक के बीच मनमुटाव की खबरें आ रही हैं।
ऐश्वर्या ने अपनी शादी में रितिक को आमंत्रित नहीं किया था और तब से दोनों के बीच गलतफहमी का दौर शुरू हो गया जो इस फिल्म की शूटिंग में भी जारी रहा। ‘धूम 2’ में रितिक और ऐश्वर्या पर एक चुंबन दृश्य फिल्माया गया था, इससे बच्चन परिवार रितिक से नाराज हो गया था। इस वजह से ऐश्वर्या ने भी रितिक से दूरी बना ली।
सुनने में आया है कि ‘जोधा अकबर’ बनाते समय निर्देशक आशुतोष गोवारीकर को रितिक और ऐश्वर्या के बीच कोई बातचीत न होने के कारण कई बार परेशा‍नियों का सामना करना पड़ा। खासकर रोमांटिक दृश्यों में दोनों सहज नजर नहीं आ रहे थे।
इस फिल्म की शूटिंग के दौरान दोनों पर जब शॉट फिल्माया जाना होता तभी साथ में वे दिखाई देते और शूटिंग होते ही अलग-अलग बैठ जाते। कई कारणों से दोनों के बीच गलतफहमियाँ पैदा हुई और बोलचाल लगभग बंद हो गई। इस मामले में ऐश्वर्या ने पहली बार अपना मुँह खोला है। ऐश्वर्या के मुताबिक दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है। कम से कम मेरी तरफ से तो ऐसा कुछ भी नहीं है। लेकिन साथ में वह यह जोड़ना नहीं भूलती कि रितिक क्या सोचते हैं, ये मैं नहीं जानती। मुझे किसी से भी लड़ना पसंद नहीं है। अब इसका क्या मतलब निकाला जाए?

Monday, January 14, 2008

'नेशनल ट्रेजर-बुक ऑफ सीक्रेट':रहस्यमय सफर


(क‌र्टॆसी: वॆब् दुनिया)
वॉल्ट डिज्नी द्वारा निर्मित और हॉलीवुड के मशहूर निर्देशक जैरी ब्रूकहाईमर की सुपरहिट फिल्म 'नेशनल ट्रेजर' का दूसरा पार्ट 'नेशनल ट्रेजर-बुक ऑफ सीक्रेट' एक बार फिर दर्शकों को ले जाती है एक अनोखे और रहस्यमय सफर पर, जहाँ कदम-कदम पर खजाने के सुराग छिपे हैं। परत-दर-परत जब इन सुरागों को सुलझाते फिल्म आगे बढ़ती है तो दर्शक भी अपने आप को इस खोज में हिस्सेदार पाता है।
हॉलीवुड के मशहूर सितारे और ऑस्कर पुरस्कार विजेता (1995- लीविंग लॉस वेगास) निकोलस केज ने इस फिल्म में भी अपना रंग जमाया है। निकोलस के अलावा गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड विजेता (1999-द ट्रू मन शो) एड हैरिस भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका में हैं।फिल्म की कहानी शुरू होती है जब अब्राहम लिंकन के हत्यारे जॉन विल्कस बूथ की हस्तलिखित डायरी का गुम हो चुका 18वाँ पन्ना प्राप्त होता है और उसके आधार पर जैब विलकिंसन (एड हैरिस) मशहूर ट्रेजर हंटर बेंजामिन फ्रेंकलिन गेट्स (निकोलस केज) के परदादा पर इस हत्या के षड्‍यंत्र मे शामिल होने का आरोप लगाता है, अब बेन को इस कलंक को धोने के लिए उस 18वें पन्ने में छिपे सुरागों को जानकर रहस्य पर से पर्दा उठाना ही होगा।
इस खोज में उसके साथ उसके पिता पेट्रिक गेट्स (जॉन व्हॉग्ट), उसकी सनकी माँ (हेलेन मीरन), उसकी प्रेमिका एबिगिल (डियॉन क्रूगर) और उसका दोस्त रिले पूल (जस्टिन बार्था)। बेंजामिन एक ऐसा विद्वान खजाना खोजी है जो अपने दिमाग के सहारे जंग जीतता है। पुरातात्विक सम्पदा को समझने और पूजने वाला बेंजामिन उनका महत्व समझता है और धन लोलुप इतिहास के लुटेरों से उन्हें बचाने के लिए गुनाह भी कर सकता है।
बहरहाल उनकी खोज उन्हें 'बुक ऑफ सीक्रेट' की और ले जाती है और ले जाती है उन्हें लंदन और पेरिस की गलियों में। यहाँ मिले सुराग उन्हें वापस अमेरिकी राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाउस फिर माउंट रशमोर (जहाँ कई प्रसिद्ध अमेरिकी हस्तियों की पहाड़ काटकर बनाई गई प्रतिमाएँ हैं) और अंत में लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस में ले जाते हैं और इस रोमांचक खोज में उन्हें दुनिया के सबसे बड़े रहस्यों में झाँकने का मौका मिलता है। आखिर में अंतिम सुराग उन्हें पहुँचाता है 'लास्ट सिटी ऑफ गोल्ड' जहाँ बिखरा है दुनिया का सबसे बड़ा खजाना और बहुत सारे खतरनाक रहस्य जिन्हें जानने के लिए आपको देखना होगी नेशनल ट्रेजर- बुक ऑफ सीक्रेट।
इस फिल्म में हॉलीवुड के कुछ सदाबहार मसालेदार 'रहस्यों' जैसे कि 'एरिया 51', 'जॉन एफ केनेडी की हत्या के राज' या 'स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी में छिपे संदेश' का तड़का दिया गया है।
अभिनय की बात करें तो इस फिल्म में सभी दिग्गज भरे पड़े हैं। निकोलस केज भले ही उम्रदराज दिखने लगे हैं मगर उनके अभिनय में ताजगी दिखाई देती है और एड हैरिस ने भी अपनी भूमिका से साथ पूरा न्याय किया है। रिले पूल (जस्टिन बार्था) ने भी कुछ जगह हँसाकर फिल्म को बोझिल होने से बचाया है।
एडवेंचर फिल्मों के शौकीन दर्शकों के लिए यह एक रोमांच भरी यात्रा होगी जो हिन्दी में 'खजाने का रहस्य' के नाम से सिनेमाघरों में चल रही है। इस फिल्म की विषेशता है कि यह फिल्म अमेरिकी जीवन के रोजमर्रा काम में आने वाले या तकरीबन रोज ही दिखाई देने वाली चीजों जैसे करेंसी नोट, पीलर ऑफ फ्रीडम, स्टेच्यु ऑफ लिबर्टी मे छिपे सुरागों के आधार पर आगे बढ़ती है और दर्शकों का रोमांच बनाए रखती है।

Saturday, January 12, 2008

हल्ला बोल : सीने में आग ...


(कर्टॆसी: वॆब् दुनिया)
राजकुमार संतोषी की शुरूआती फिल्मों की थीम अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाना थी। ‘घायल’, ‘घातक’ और ‘दामिनी’ में उन्होंने यहीं बात उठाई थी और उन्हें सफलता भी मिली थी। इसके बाद संतोषी भटक गए और कई खराब फिल्में उन्होंने बनाई। ‘हल्ला बोल’ के जरिए संतोषी ‍एक बार फिर अपने पुराने ट्रेक पर लौटे हैं।
आज के जमाने में व्यक्ति को अपने पड़ोसी से कोई मतलब नहीं रहता। यदि कोई उसे मार रहा हो तो वह बचाने की कोशिश नहीं करता, लेकिन वह यह भूल जाता है कि अगली बारी उसकी हो सकती है। इसी को आधार बनाकर राजकुमार संतोषी ने ‘हल्ला बोल’ का निर्माण किया है।
अशफाक (अजय देवगन) एक छोटे शहर में रहने वाला युवक है। फिल्मों में काम करना उसका ख्वाब है और इसलिए वह सिद्धू (पंकज कपूर) के साथ नुक्कड़ नाटक करता है। सिद्धांतवादी और सच बोलने वाला अशफाक अभिनय की बारीकियाँ ‍सीखने के बाद मुंबई पहुँच जाता है और फिल्मों में काम पाने की उसकी शुरूआत झूठ से होती है।
धीरे-धीरे वह सफलता की सीढि़याँ चढ़ता जात है और अशफाक से समीर खान नामक सुपरस्टार बन जाता है। अपनी सुपरस्टार की इमेज को सच मानकर वह अपना वजूद खो देता है। सफलता का नशा उसके दिमाग में चढ़ जाता है। इस वजह से उसके गुरु सिद्धू, पत्नी स्नेहा (विद्या बालन) और माता-पिता उससे दूर हो जाते हैं।
एक दिन एक पार्टी में उसके सामने एक लड़की का खून हो जाता है। खूनी को पहचानने के बावजूद समीर इस मामले में चुप रहना ही बेहतर समझता है क्योंकि उसे डर रहता है कि वह पुलिस और अदालतों के चक्कर में उलझा तो उसकी सुपरस्टार की छवि खराब हो सकती है।
सुपरस्टार समीर और अशफाक में अंतर्द्वंद्व चलता है और जीत अशफाक की होती है। वह पुलिस के सामने जाकर उन दो हत्यारों की पहचान कर लेता है। वे दोनों हत्यारे बहुत बड़े नेता और उद्योगपति के बेटे रहते हैं। वह नेता और उद्योगपति समीर को धमकाते हैं, लेकिन वह नहीं डरता। अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए वह नेता अदालत में समीर को झूठा साबित कर देता है।
समीर को अहसास होता है कि परदे पर हीरोगिरी करने में और असल जिंदगी में कितना फर्क है। वह अपने गुरु सिद्धू की मदद से ‘हल्ला बोल’ नामक नाटक का सड़कों पर प्रदर्शन करता है और जनता तथा मीडिया की मदद से हत्यारों को सजा दिलवाता है।
राजकुमार संतोषी ने इस कहानी को बॉलीवुड के हीरो के माध्यम से कही है। उनके मन में आमिर खान का आंदोलन को समर्थन देना, मॉडल जेसिका लाल और सफदर हाशमी हत्याकाँड था। उन्होंने इन घटनाओं से प्रेरणा लेकर कहानी लिखी।
पहले हॉफ में उन्होंने बॉलीवुड के उन तमाम सुपरस्टार्स की पोल खोली जो पैसों की खातिर बेगानी शादियों में नाचते हैं। एक संवाद है ‘यदि पैसा मिले तो ये मय्यत में रोने भी चले जाएँ।‘
एक सुपरस्टार खुद अपनी इमेज में ही किस तरह कैद हो जाता है, इस कशमकश को उन्होंने बेहतरीन तरीके से दिखाया है। समीर खान का सड़क पर आकर न्याय माँगने के संघर्ष को उन्होंने कम फुटेज दिया, इस वजह से फिल्म का अंत कमजोर हो गया है। मध्यांतर के बाद फिल्म को संपादित कर कम से कम बीस मिनट छोटा किया जा सकता है।
फिल्म में कई दृश्य हैं जो दर्शकों को ताली पिटने पर मजबूर करते हैं। विद्या बालन का प्रेस के सामने आकर अजय का साथ देना। अजय का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड जीतने के बाद भाषण देना। अजय का मंत्री के घर जाकर उसका घर गंदा करना। अल्पसंख्यक होने के बावजूद समीर खान का मुस्लिम सुमदाय से मदद लेने से इंकार करना। संवाद इस फिल्म का बेहद सशक्त पहलू हैं। निर्देशक राजकुमार संतोषी ने अधिकांश दृश्यों की समाप्ति एक लाइन के उम्दा संवादों से की हैं।
एक निर्देशक के रूप में राज संतोषी ‘दामिनी’ या ‘घायल’ वाले फॉर्म में तो नहीं दिखे, लेकिन पिछली कई फिल्मों के मुकाबले उनकी यह फिल्म बेहतर है। खासकर फिल्म का मध्यांतर के बाद वाला भाग और सशक्त बनाया जा सकता था।
सुपरस्टार की इमेज में कैद समीर की बैचेनी और सफलता पाने के लिए कुछ भी करने वाले इंसान को अजय देवगन ने परदे पर बेहद अच्छी तरह से पेश किया है। अजय बेहद दुबले-पतले हो गए हैं और उनका चेहरा पिचक गया है। उन्हें अपने लुक पर ध्यान देना चाहिए। विद्या बालन के लिए अभिनय का ज्यादा स्कोप नहीं था, लेकिन दो-तीन दृश्यों में उन्होंने अपनी चमक दिखाई। पंकज कपूर ने सिद्धू के रूप में गजब ढा दिया। पता नहीं यह उम्दा अभिनेता कम फिल्मों में क्यों दिखाई देता है। दर्शन जरीवाला, अंजन श्रीवास्तव के साथ अन्य कलाकारों से भी संतोषी ने अच्छा काम लिया है।
कुल मिलाकर ‘हल्ला बोल’ में वे तत्व हैं जो दर्शकों को अच्छे लगे। एक बार यह फिल्म देखी जा सकती है।

निर्माता : अब्दुल सामी सिद्दकी

निर्देशन-कथा-पटकथा-संवाद : राजकुमार संतोषी

संगीत : सुखविंदर सिंह

कलाकार : अजय देवगन, विद्या बालन, पंकज कपूर, दर्शन जरीवाला (विशेष भूमिका - करीना कपूर, सयाली भगत, तुषार कपूर, श्रीदेवी, बोनी कपूर, जैकी श्रॉफ)

रेटिंग : 3/5

Friday, January 11, 2008

शाहरुख खान और करीना कपूर को स्क्रीन अवॉर्ड






बॉलीवुड सुपर स्टार शाहरुख खान को फिल्म 'चक दे इंडिया' में उनके दमदार अभिनय के लिए एक भव्य कार्यक्रम में स्क्रीन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया1 सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार 'जब वी मेट' के लिए करीना कपूर को दिया गया। बांद्रा-कुर्ला परिसर में स्थित एमएमआरडीए मैदान में तीन घंटे तक चले रंगारंग कार्यक्रम में 'चक दे इंडिया' को वर्ष 2007 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म घोषित किया गया। इस फिल्म के निर्देशक शिमित अमीन और 'तारे जमीन पर' के निदेशक आमिर खान को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार प्रदान किया गया। हालाँकि आमिर खान इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे, इसलिए उनकी ओर से गीतकार प्रसून जोशी ने पुरस्कार स्वरूप दी जाने वाली ट्रॉफी प्राप्त की। 'तारे जमीन पर' के बाल कलाकार दर्शील सफारी को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेता ज्यूरी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। हालाँकि दर्शील भी इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं थे। सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार चक दे इंडिया की महिला हॉकी टीम को दिया गया। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ संपादन के लिए भी स्क्रीन अवॉर्ड जीता। दीपिका पादुकोण (ओम शांति ओम) और रणबीर कपूर (साँवरिया) को सर्वश्रेष्ठ नवोदित कलाकार पुरस्कार के लिए ट्रॉफी प्रदान की गई। ऑस्ट्रेलिया में शूटिंग में व्यस्त होने के कारण दीपिका इस समारोह में शिरकत नहीं कर सकीं।

Thursday, January 10, 2008

निशा कोठारी "प्रियंका कोठारी" ब‌न् नॆ कॆ बाद् सुभाष घई क्यांप् मॆ ग‌यी


निशा कोठारी ने रामू का साथ इसलिए पसंद किया था क्योंकि उसे उम्मीद थी कि रामू के जरिए वह बॉलीवुड में अपनी विशेष जगह बनाने में कामयाब होगी। प्रतिभाहीन होने के बावजूद रामगोपाल वर्मा ने निशा को अपनी ढेर सारी फिल्मों में अवसर दिए।
कुछ फिल्मों में जबरदस्ती उसके आयटम सांग ठूँसे, लेकिन सभी फिल्में पिट गईं। निशा और रामू के संबंधों को लेकर भी अफवाहों का दौर चलता रहा। निशा ने यह सब सहन किया क्योंकि उसे रामू पर भरोसा था।
‘रामगोपाल वर्मा की आग’ में निशा को रामू ने वो भूमिका सौंपी जो हेमा मालिनी ने ‘शोले’ में निभाई थी। इस फिल्म के लिए रामू की इतनी आलोचना हुई कि उन्हें मुँह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है, ऐसे में भला वे निशा को कैसे बचाते?
निशा भी समझ गई कि रामू के साथ खड़े रहने से उसे फायदा कम नुकसान ज्यादा हुआ है। उसने अपना नाम बदल प्रियंका कर लिया है और रामू का साथ भी छोड़ दिया है। वह नए सिरे से शुरूआत करना चाहती है। इस बार वह सुभाष घई कैम्प में घुसना चाहती है। पिछले दिनों उसे सुभाष घई के साथ भी देखा गया। क्या घई इस फ्लॉप अभिनेत्री को एक और अवसर देंगे? क्या वे उसके गॉडफादर बनेंगें? यह सवाल सभी पूछ रहे हैं।

Wednesday, January 9, 2008

टोयोटा लैंडक्रूजर व‌र्स‌स् सुष्मिता सेन


(कर्टॆसी: वॆब् दुनिया)
हिन्दी फिल्म अभिनेत्री सुष्मिता सेन ने दावा किया है कि विवादास्पद टोयोटा लैंडक्रूजर के अवैध आयात में उनकी कोई भूमिका नहीं है।
बंबई उच्च न्यायालय की ओर से जारी एक नोटिस के जवाब में पूर्व मिस यूनिवर्स ने कहा कि उनका किसी कानून के प्रावधान को भंग करने का कभी कोई इरादा नहीं रहा और वह विदेशी कार के आयात में लिप्त नहीं हैं।
सुष्मिता ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने किसी अनियमितता, गैर कानूनी कार्य या दोष दे सकने लायक व्यवहार नहीं किया। इसके विपरीत वह कानून का पालन करने वाली नागरिक हैं और जब सीमा शुल्क विभाग ने कर का मुद्दा उठाया तो वह खुद सेटलमेंट कमीशन के पास गईं और उन्होंने 20 लाख 33 हजार 386 रुपए का भुगतान किया। उन्होंने कहा कि इसके बाद उन्होंने 2 लाख 16 हजार 988 रुपए की चुंगी भी भरी।
सुष्मिता सेन के अनुसार कार की खरीद संबंधी दस्तावजे मेसर्स जय माता एंटरप्राइजेज के मालिक हरेन चौकसी ने बनाए थे, जिन्होंने उन्हें यह कार वासु थमला की मिल्कियत बताकर बेची थी। वासु की तरफ से हस्ताक्षर भी चौकसी ने किए थे। बाद में पता चला कि वासु थमला का कोई अस्तित्व ही नहीं है।
सुष्मिता सेन के अनुसार उन्हें कार के रजिस्ट्रेशन कागजात दिखाए गए थे और स्पष्ट रूप से बताया गया था कि कार विशेष रूप से उन्हीं के (सुष्मिता) लिए आयात नहीं की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार और न्यायाधीश जेपी देवधर की खंडपीठ ने फर्जी कार मालिक वासु थमला, जिसका कथित रूप से कोई अस्तित्व नहीं है, के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया और दो सप्ताह के लिए सुनवाई स्थगित कर दी।
इस मामले में अदालत ने 11 अक्टूबर, 2007 को अदालत ने सुष्मिता सेन को कड़ी फटकार लगाई थी और उनके खिलाफ लगे आरोपों को गंभीरता से लेते हुए अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
सुष्मिता पर सीमा शुल्क न भरने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, नई कार का पुरानी कार बताकर पंजीकरण करने, कार को आवास हस्तांतरण के बहाने आयात करने, इंजन व कार की बॉडी के गलत नंबर देने, कार का मूल्य कम कर बताने आदि के आरोप हैं।

Tuesday, January 8, 2008

अनुपम खेर बने हवाई दादा


(कर्टॆसी: वन् इंडिया)
बालीवुड में अनुपम खेर की अभिनय क्षमता के सभी कायल हैं. उन्होंने कई फिल्मों मे यादगार भूमिकायें हैं. वे अब हवाई दादा नाम की फिल्म में दादा बनकर आ रहे हैं. यह फिल्म एक दादा पोते के रिश्ते पर आधारित है. फिल्म में तनुजा उनकी पत्नी की भूमिका कर रही हैं. तनुजा ने काफी समय बाद फिल्मों में वापसी की है. अनुपम तनुजा के साथ काम करके बहुत खुश हैं. अनुपम खेर ने कहा कि तनुजा हमेशा उनकी मनपसंदीदा रही हैं और वे बहुत अच्छी अभिनेत्री हैं. वे बिल्कुल स्वाभाविक अभिनय करती हैं. अनुपम खेर की पिछले साल दस कहानियां, लागा चुनरी में दाग, अपना आसमान, विक्टोरिया न. 203 और धोका जैसी फिल्में आई हैं. हवाई दादा का निर्देशन अजय कार्तिक कर रहे हैं जो कि नये हैं लेकिन अनुपम नये निर्देशकों के साथ भी उत्साहपूर्वक काम करते हैं. वे विक्रम राजदान की फिल्म भट्टी की छुट्टी भी कर रहे हैं, इसमें वे अमिताभ बच्चन के प्रशंसक बने हैं. ज्ञात हो कि अनुपम ने इस फिल्म की शूटिंग अमिताभ बच्चन के बंगले जलसा में भी की है.

Monday, January 7, 2008

महिमा चौधरी "रिट‌र्न्स्"

महिमा चौधरी ने यह कहकर सबको चौंका दिया था ‍कि वह माँ बनने वाली है और उसने बॉबी मुखर्जी से शादी कर ली है। महिमा का बच्चा अब छ: माह को हो गया है और एक बार फिर वह कैमरे का सामना करना चाहती है। उसकी ‘गुमनाम’ नामक फिल्म प्रदर्शन के लिए तैयार है। इस फिल्म में महिमा और डीनो की जोड़ी है। महिमा को उम्मीद है कि यह फिल्म शीघ्र प्रदर्शित होगी। उसके मुताबिक इस फिल्म की कहानी संघर्षरत कलाकारों पर आधारित है। तनूजा चन्द्रा भी एक फिल्म की योजना बना रही है जो अमेरिका में रहने वाले एशियाई लोगों के जीवन पर आधारित है। इस फिल्म में महिमा को लिए जाने की संभावना है। इसमें वह एक विधवा सिख युवती की भूमिका निभाएगी। महिमा अपना शेड्यूल इस प्रकार बनाना चाहती है ताकि वह बच्चे पर भी ध्यान दे सके। वह फिल्म और माँ की जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाए रखना चाहती है। उसे उम्मीद है कि दर्शक फिल्मों में एक बार फिर उसे पसंद करेंगे।

Friday, January 4, 2008

रिया की प्रिन्सिपुल्स्

रिया सेन लाख कोशिश करती है कि लोग उसके अभिनय या फिल्मों के बारे में चर्चा करें, लेकिन सब उसकी लाइफ स्टाइल और बॉयफ्रेंड्‍स के बारे में ही बात करते हैं। रिया की शायद अब तक जितनी फिल्में प्रदर्शित हुई होगी, उससे ज्यादा तो उसने बॉयफ्रेंड बदल लिए हैं।
इसीलिए लोगों का ध्यान उसकी निजी‍ जिंदगी की तरफ ज्यादा जाता है। अक्षय खन्ना, अक्षय कुमार, विवेक ओबेरॉय, सैफ अली जैसे कितने नायकों के साथ उसके नाम जुड़े। कुछ बॉलीवुड से बाहर की दुनिया के भी थे।
रिया कहते-कहते थक गई कि इन सबसे उसके केवल दोस्ताना संबंध हैं और अफेयर जैसी कोई बात नहीं है, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। अपनी बात को बेअसर देखते हुए अब रिया ने सुर बदल लिए हैं। बजाय खंडन करने के वह स्पष्ट कह देती है कि फलां हीरो से उसका अफेयर चल रहा है।
रिया का मानना है कि खंडन करने से अफवाहों को और बल मिलता है, इसलिए सीधे हाँ कह दो तो किसी को कहने के लिए कुछ भी नहीं रहता। वैसे अभिनय के मामले में रिया ने कोई बहुत बड़ा तीर नहीं मारा है। अधिकांश फिल्मों में केवल वह शो-पीस के रूप में नजर आई। इस समय वह तीन-चार फिल्में कर रही है, लेकिन उन फिल्मों से कोई आशा करना बेकार है।

Thursday, January 3, 2008

जनवरी में रिलीज् होने वाली हिंदी फिल्में

(कर्टॆसी:वॆब् दुनिया)
बॉलीवुड वालों का मानना है कि वर्ष का पहला सप्ताह अपशकुनी होता है, इसलिए इस वर्ष तमाम बड़े निर्माता अपनी फिल्म 4 जनवरी वाले सप्ताह में प्रदर्शित नहीं कर रहे हैं। इसका फायदा ‘तारे जमीं पर’ और ‘वेलकम’ को मिलेगा।
बड़ी फिल्मों को प्रदर्शित न होता देख छोटी और डब फिल्में 4 तारीख को सिनेमाघरों में आएँगी। जरा इनके नाम पर गौर फरमाइए। ‘गोल्ड बॉयज़’, ‘हमने जीना सीख लिया’, ‘हैदराबादी बकरा’, ‘मंथन-एक कशमकश’, ‘फिर तौबा-तौबा’, ‘ताकत’ (डब), ‘दि गोल्डन कम्पॉस’ (डब)। ये फिल्में शायद ही सभी शहरों में एक साथ प्रदर्शित हो पाएँ।
11 जनवरी को राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘हल्ला बोल’ प्रदर्शित होने की घोषणा हुई है। पहले भी इस फिल्म का प्रदर्शन कई बार टला है। अजय देवगन और विद्या बालन ने इसमें प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।
‘माय नेम इज़ एंथोनी गोंसाल्विस’ भी इसी दिन आएगी। ई. निवास द्वारा निर्देशित इस फिल्म में निखिल द्विवेदी, अमृता राव और मिथुन चक्रवर्ती ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं। ‘मस्तानी गर्ल्स’ और ‘नेशनल ट्रेज़र 2’ जैसी फिल्में भी देखने को मिल सकती हैं। 18 जनवरी को सुभाष घई द्वारा निर्मित और नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित फिल्म ‘बॉम्बे टू बैंकॉक’ दर्शकों को देखने को मिलेगी। इस फिल्म में श्रेयस तलपदे और लीना प्रमुख भूमिकाएँ निभा रहे हैं। यह एक शेफ की कहानी है जो एक डॉन के पैसे चुराकर मुंबई से बैंकॉक जा पहुँचता है। फिल्म में रोमांस और हास्य को प्रमुखता दी गई है। एक और हास्य फिल्म ‘रामा-रामा क्या है ड्रामा’ भी 18 तारीख को प्रदर्शित हो रही है। इसमें विवाह के बाद पति-पत्नी की तकरार को हास्य के जरिये दिखाया गया है।
25 जनवरी वाला सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस सप्ताह में 26 जनवरी की छुट्टी शामिल है। इस दिन आशुतोष गोवारीकर की ‘जोधा अकबर’ प्रदर्शित होने वाली थी और इस फिल्म से टक्कर लेने की हिम्मत किसी निर्माता में नहीं थी। आशुतोष की अस्वस्था के कारण ‘जोधा अकबर’ अब 15 फरवरी को प्रदर्शित होगी, इसलिए मैदान खुला देख निर्माता कुमार मंगत और सुनील लुल्ला अपनी फिल्म ‘संडे’ को इस दिन प्रदर्शित कर रहे हैं। यह फिल्म पहले फरवरी में प्रदर्शित होने वाली थी। अजय देवगन, आयशा टाकिया, अरशद वारसी और इरफान खान के अभिनय से सजी इस फिल्म की कहानी रहस्य और रोमांच से भरपूर है। तुषार कपूर और ईशा देओल ने इसमें एक आयटम सांग किया है और फिल्म के निर्देशक हैं रोहित शेट्टी। कुल मिलाकर जनवरी में बड़ी फिल्मों के मुकाबले छोटी फिल्मों का जोर ज्यादा रहेगा।

Wednesday, January 2, 2008

2008 वर्श् में आने वाली फिल्में


(कर्टॆसी:वॆब् दुनिया)
2008 में प्रदर्शित होने वाली खास और बड़ी फिल्मों की सूची पर नजर दौड़ाने पर यह बात सामने आती है कि 2008 में 2007 के मुकाबले बड़ी फिल्मों की संख्या कम है। हालाँकि कई फिल्में निर्माणाधीन हैं और उनकी प्रदर्शन की तिथि घोषित नहीं हुई है। हो सकता है कि वे फिल्में 2008 में प्रदर्शित हों। 2008 में भी कोई फिल्म घोषित होकर बन सकती है।
2007 में रितिक की कोई भी फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई। आमिर की तरह कम फिल्म करने वाले रितिक की 2008 में ‘जोधा अकबर’ जैसी भव्य फिल्म प्रदर्शित होने जा रही है। आशुतोष गोवारीकर द्वारा निर्देशित इस फिल्म से बॉलीवुड को बेहद आशाएँ हैं। अकबर के रूप में रितिक और जोधा के रूप में ऐश्वर्या को देखना कम रोचक नहीं होगा।
अजय देवगन के लिए पिछला समय ज्यादा अच्छा नहीं रहा, लेकिन 2008 में अजय की बड़ी फिल्में आएँगी। ‘संडे’ और ‘हल्ला बोल’ जल्द ही प्रदर्शित होने वाली हैं। अजय और राजकुमार संतोषी को साथ में काम करते हुए अब तक सफलता नहीं मिली है, शायद ‘हल्ला बोल’ के जरिए वे सफलता का स्वाद चखें। अजय द्वारा निर्देशित ‘यू मी और हम’ भी इसी वर्ष प्रदर्शित होगी। इस फिल्म में काजोल ने भी अभिनय किया है। क्या अजय आमिर की तरह कामयाब होंगे?
इस वर्ष यशराज फिल्म्स की संभवत: एकमात्र फिल्म ‘टशन’ प्रदर्शित हो। सैफ अली, अक्षय कुमार, करीना कपूर और अनिल कपूर द्वारा अभिनीत इस फिल्म से काफी आशाएँ हैं। इसी बैनर के लिए ‍निर्देशक सिद्धार्थ आनंद रणबीर कपूर, बिपाशा बसु और दीपिका पादुकोण को लेकर एक फिल्म बनाने वाले हैं, लेकिन यह फिल्म शायद ही 2008 में प्रदर्शित हो।खान त्रिमूर्ति की बात की जाए तो किंग खान शाहरुख इस समय बेरोजगार हैं। उनकी किसी भी फिल्म की शूटिंग नहीं चल रही है। करण जौहर उनको लेकर ‘माय नेम इज़ खान’ शुरू करने वाले हैं। इसमें काजोल भी हैं, लेकिन इस फिल्म के 2008 में प्रदर्शित होने की संभावना कम है। ‘भूतनाथ’ में वे संक्षिप्त भूमिका में दिखाई देंगे।
सलमान की कम से कम तीन फिल्में 2008 में दिखाई देंगी। अरसे से बन रही ‘गॉड तुस्सी ग्रेट हो’ में उनके साथ प्रियंका चोपड़ा और अमिताभ बच्चन हैं। उनको लेकर सुभाष घई ‘युवराज’ बना रहे हैं। घई की पिछली कुछ फिल्में सुपर फ्लाप साबित हुई हैं और यह उनके लिए आख‍िरी अवसर के समान है। शायद सलमान उन्हें उबार लें। बोनी कपूर सलमान को लेकर ‘वांटेड : डेड ऑर अलाइव’ बना रहे हैं। सलमान की इन तीनों फिल्मों में खूब पैसा लगा है।
आमिर खान ‘गजिनी’ के रीमेक में दिखाई देंगे। इस फिल्म में उनके साथ जिया खान हैं। इस फिल्म के लिए आमिर भी अपनी बॉडी बनाएँगे। इसके अलावा आमिर अपने प्रोडक्शन हाउस के तले बन रही फिल्मों में भी व्यस्त रहेंगे।
2007 में अपनी फिल्मों की जबरदस्त धुलाई के बाद रामगोपाल वर्मा ‘सरकार राज’ लेकर हाजिर होंगे। इस फिल्म में पूरा बच्चन परिवार है। ‘सरकार’ के इस सीक्वल के प्रति दर्शकों में उत्सुकता है।
अभिषेक बच्चन की ‘सरकार राज’ के अलावा ‘द्रोण’ और ‘दिल्ली 6’ जैसी बड़ी फिल्में प्रदर्शित हो सकती हैं। ‘सिंह इज़ किंग’ भी 2008 का प्रमुख आकर्षण है। अक्षय-कैटरीना द्वारा अभिनीत इस फिल्म को विपुल शाह बना रहे हैं और यह संभवत: 15 अगस्त के आसपास प्रदर्शित हो। रवि चोपड़ा की ‘भूतनाथ’ में अमिताभ और शाहरुख हैं। हरमन बावेजा की ‘लव स्टोरी 2050’ के भी काफी चर्चे हैं। हरमन की शख्सियत रितिक रोशन से मिलती-जुलती है और उन्हें निर्माता साइन करने के लिए उत्सुक हैं।
राकेश रोशन द्वारा निर्मित ‘क्रेजी 4’, ‘हेराफेरी 4’, हिमेश रेशमिया की ‘कर्ज’, अब्बास-मस्तान की ‘रेस’, संजय गुप्ता की ‘अलीबाग’ व ‘वुडस्टॉक विला’ और मधुर भंडारकर की ‘फैशन’ भी 2008 में प्रदर्शित होने वाली उन फिल्मों में से हैं, जिनके सफल होने की संभावनाएँ हैं।