Friday, May 2, 2008

सत्यजीत रे की ‘पाथेर पांचाली’ रंग मे आनेवाली है

महान फिल्मकार सत्यजीत रे का आज (2 मई) जन्म दिवस है। यह खेद का विषय है कि उनके जन्म दिवस पर उनकी कालजयी फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ को रंगीन करने की साजिश रची जा रही है। ‘पाथेर पांचाली’ देश की सांस्कृतिक विरासत है और इसके साथ छेड़छाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं देना चाहिए। इस फिल्म की खूबसूरती और गरिमा इसके श्वेत-श्याम होने में है। भूषण बंदोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित यह फिल्म सत्यजीत रे ने पश्चिम बंगाल सरकार के सहयोग से 1955 में बनाई थी। यह उनकी ‍पहली फिल्म थी। तीन लाख की लागत से बनी इस फिल्म ने करोड़ों रुपए कमाए हैं। विश्व में भारतीय सिनेमा की पहचान इसी फिल्म के जरिए बनी। इस फिल्म की पूरे विश्व में सराहना हुई और दुनिया के कई विश्वविद्यालयों और फिल्म संस्थानों में यह फिल्म पढ़ाई जाती है।
पैसा कमाने की नीयत
‘नया दौर’ और ‘मुगल-ए-आजम’ जैसी फिल्मों को रंगीन कर प्रदर्शित किया गया। यह देखते हुए संक्रांति क्रिएशन ने ‘पाथेर पांचाली’ को रंगीन करने का एक प्रस्ताव पश्चिम बंगाल सरकार को भेजा है क्योंकि फिल्म के अधिकार उसी के पास हैं। इस कंपनी ने एक मिनट का डेमो भी तैयार किया है। सत्तर लोगों की टीम इस वर्ष के अंत तक इस फिल्म को रंगीन बना देगी। संक्रांति क्रिएशन के अधिकारियों का कहना है कि इससे इस फिल्म का महत्व और बढ़ जाएगा, जबकि इसके पीछे पैसा कमाने की साजिश साफ नजर आ रही है। उनके मुताबिक सत्यजीत रे के बेटे संदीप रे ने भी इसकी इजाजत दे दी है, लेकिन संदीप रे ने जोरदार शब्दों में इसका खंडन किया है। संदीप का कहना है कि उनके नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है।
जबर्दस्त विरोध
इस कालजयी फिल्म को रंगीन करने का विरोध शुरू हो गया है। हाल ही में एक सर्वे किया गया जिसमें 96 प्रतिशत लोगों ने इस विचार को बेहूदा बताया। कोलकाता स्थित सत्यजीत रे सोसायटी के सीईओ अरुप डे ने इसकी निंदा की है। बंगला फिल्मों के अनेक निर्देशकों ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर वे सड़क पर उतरकर अपना विरोध दर्ज करवाएँगे और किसी भी हालत में इस फिल्म के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे।
(कर्टेसी: वेब दुनिया)

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